Tuesday, 10 February 2015
Friday, 6 February 2015
Wednesday, 4 February 2015
ना ये केमिस्ट्री होती, ना मैं स्टूडेंट होता
ना ये लैबोरेटरी होती, ना ये एक्सीडेंट होता
कल प्रैक्टिकल में नजर आई एक लड़की
सुंदर थी, नाक थी उसकी टेस्ट ट्यूब जैसी
सांसों में एस्टर की खुशबू भी साथ थी
आंखों से झलकता था कुछ इस तरह उसका प्यार
बिन पिए ही हो जाता था एल्कोहल का खुमार
बैंजीन सा होता था उसकी उपस्थिति का एहसास
अंधेरे में होता था रेडियम का आभास
नजरें मिलीं, रिएक्शन हुआ
कुछ इस तरह प्यार का प्रॉडक्शन हुआ
लगने लगे उसके घर के चक्कर ऐसे
न्यूक्लियस के चारों तरफ इलेक्ट्रॉन हों जैसे
उस दिन हमारे टेस्ट का कन्फर्मेशन हुआ
जब उसके डैडी से हमारा इंट्रोडक्शन हुआ
सुनकर हमारी बात वो ऐसे उछल पड़े
इग्नीशन ट्यूब में जैसे, सोडियम भड़क उठे
बोले, होश में आओ, पहचानो अपनी औकात
आयरन मिल नहीं सकता कभी गोल्ड के साथ
यह सुनकर टूटा हमारे अरमानों भरा बीकर
और हम चुप रहे बेंजल्डिहाइड का कड़वा घूंट पीकर
अब उसकी यादों के सिवा हमारा काम चलता न था
और लैब में हमारे दिल के सिवा कुछ जलता न था
जिंदगी हो गई असंतृप्त हाइड्रोकार्बन की तरह
और हम फिरते हैं आवारा हाइड्रोजन की तरह।
जैसे तुम आई हो।
अभी-अभी मेरे दिल में दी है किसी ने दस्तक,
जैसे तुम आई हो।

महसूस कर रहा हूं धीमी हवाओं का झोंका,
जैसे तुम पुरवाई हो।
मधुर धुन छेड़ी है किसी ने,
क्या तुम गुनगुनाई हो?
कितने हसीं थे वो पल जब तुम थीं मेरे साथ,
चल रहे थे जीवन डगर पे हम थामे इक-दूजे का हाथ।
साथ हंसते-गाते थे हम,
करते थे दुनियाभर की बात।
दुख में, सुख में साथ थे हम,
सुकून से कटती थी हर रात।
जीवन था आनंद भरा, प्यार भरा सौगात।
किसी ने शोर किया, टूट गया मेरा सपना,
पर अभी बाकी है पूरी रात।
ऐसा लगता है मानो ये सब,
कल ही की हो बात।
अरे ये क्या? मैं तो यहां अकेला हूं,
कोई नहीं है मेरे साथ।
याद आ गया है मुझको कि तुम,
कब का छोड़ चुकी हो मेरा हाथ।
अब कोई नहीं है मेरे पास यहां,
हंसने-मुस्कुराने को।
सारा दिन सताने को,
रूठने और मनाने को।
सारा समय अकेला बैठ करता रहता हूं खुद ही से बात,
याद करता हूं बीती बातें।
चाहे दिन हो, चाहे रात।
मेरे आस-पास कोई नहीं है,
बस यादों का है साथ और।
रह-रहकर मैं इनसे पूछता हूं,
क्या तुम ही तन्हाई हो?
क्या तुम ही तन्हाई हो?
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