Wednesday, 18 February 2015

UNSEEN FACE

The muddy roads , the pits on the road , heavy rain filling them and smelling earth that was the best part of the village.
This village was also unique because it kissed the clouds at an altitude of 1200 ft above sea level . Even sea contours could not match it. I see people touching the sun just before its settling down. But I saw a moon in the day she was all white fearing the consequences of breaking the earthen pot.
“Go and kill that bi**h” were the words I heard from my father.
Shocked, surprised and doubting I removed the binoculars and asked faintly,’who?’.
“That bi**h which keeps on barking”. Then relaxed I gained my breadth.
She was still standing there and I was almost sure she cried because the eye lashes seen weren’t clear as the binoculars didn’t had a great sight. Till now I am all ready into her and my heart was aggressively thumping as if it tried to break free from my body and my soul could have faced a dumping. The faint lights added more to my heart ,the snow covered fields made me kind of retard. So from that day on I’ve been dreaming of her looking into the streams but it was only my reflection that returned after some screams.
She then disappeared no one knows how. Her father might have traded her that much I can say because he was one of the drunken masters who didn’t know karate but use to play cards or sip the free brandy .
I was on my vacation from Mumbai
And was also the only one from my village who has been placed in such a huge city.
3:30 am the alarm rings just 2 hours left for the train which was back to the financial capital , Mumbai.
On the train through out the journey after even figuring a star actor I could not resist thinking of her , I was trying to put a face on that dress and lean body of her but I failed in every attempt.
Two months later i received a phone call- ” beta a man is coming to Mumbai from our village to you for your help”-it was dad and I was eager to know who that person was.
To the college I took a taxi at the gate of the college there was a group of beggars. A girl without a hand and a leg headed them she begged and I gave her 2 rupees.
3 days later my mate from my land arrived and surprised me as he was the brother of that girl who was in my memory without a face. He had received an information that she was spotted in Mumbai.
I asked him to show her picture I was super exited but it broke my heart when I found that picture exactly alike. Of that girl with no hand and no leg and the girl with that unseen face.

ऊँची उड़ान

आकाश की गहराई को पृथ्वी से हम जैसे आम इंसान के लिए छूना असंभव है | इस नए दौड़ का मनुष्य, पंछी के सामान ऊँची उड़ान भड़कर, अनंत नभ की ऊंचाई मांपने की इच्छा रखता है, परन्तु आवेग में वह अज्ञानी नहीं समझता की यह उसके बस की बात नहीं | ऐसे ही मानव मेरी कहानी के दो पात्र हैं, भागेश्वर और उसका बेटा कुमार, जो अपनी ज़िन्दगी में, ऊँची से ऊँची उड़ान भरने में खुद को सक्षम समझने की भूल कर बैठे हैं |
ये कहानी मुंबई के झुग्गी-झोपरियों में रहने वाले उन मासूम लोगों से जुड़ी है, जो गांव-देहात से अपने बड़े बड़े ख्वाबों को पूरा करने के लिए, इस शहरी माहौल में बस तो गए ,पर कुछ पाने से पहले अपना सर्वस्व लूटा बैठते | भागेश्वर नाथ पाण्डेय,अपने इन्हीं सपनों को साकार करने के लिए अपनी बीवी कांता और दो बेटे,दीपू और कुमार के साथ यहाँ बस गया | वह भी गाँव से शहर पैसे कमाने की धुन में आया,मगर भाग्य ने उसका साथ न दिया | भागेश्वर और उसकी बीवी,कांता शहर में ही मज़दूरी का काम करते,और जो कुछ भी उससे कमाते उसी में चारों खुश थे|
समय कुल मिलाकर ठीक ही ठाक बीत रहा था, अचानक एक दिन,उस ज़मीन का मालिक उन झोपड़ियों को खाली कराने के लिए सरकारी नोटिस लेकर आया,जिसमे लिखा था, चार दिन के अंदर पूरी बस्ती खाली करनी है | भागेश्वर के कानों में जब ये बात पड़ी, वह बौखला गया और लोगों को इकठ्ठा कर बोला-
“देखता हूँ किसकी इतनी हिम्मत है जो हमें यहाँ से निकाल बहार फेंकेगा | अगर हम एक जुट होकर इस बात का विरोध करेंगे, तो किसी की भी इतनी हिम्मत नहीं जो हमें हटा सके | पुरे दिन मजूरी करें हम, और मुफ्त की रोटी तोड़ेंगे ये,ऐसा कभी नहीं होगा”
इसके बाद यह तय हुआ, की कल से कोई भी मजदूर काम पर नहीं जाएगा | इस तरह पांच दिन बीत गए,सारा काम ठप देख, मालिक खुद भागेश्वर से मिला, और माफी मांगकर सभी मजदूरों को बेदखल करने के प्रस्ताव को वापस लिया, और उन्हें कल से ही काम पर वापस आने को कहा | इसे सुनते ही कुछ मजदूर भागेश्वर को अपने कंधे पर उठाकर नारा लगाते हैं- “ गली गली का नारा है भागेश्वर यार हमारा है ! भागेश्वर जिंदाबाद !”, शायद भागेश्वर की जिंदगी में इस घटना से कुछ बदलाव आने वाला था |
कहते हैं समय हमेशा एक सा नहीं रहता, भागेश्वर जिंदगी की ऊँचाइयों को महसूस करने लगा,उसके जीवन में काफी बदलाव आए | इश्वर की कृपा से वह आज मज़दूर यूनियन का लीडर है | मुंबई जैसे शहर में उसने किराये पर एक छोटी सी खोली ले ली,दीपू का सरकारी स्कूल में दाखिला करवा दिया,जीवन नयी उमंगों से भर गया |
इंसान को और क्या चाहिए, बस दो वक़्त की रोटी,कपड़ा,मकान | आज भागेश्वर के पास ये सब कुछ था,इतनी सारी खुशियाँ पाकर हर व्यक्ति खुद को संपन्न मानता है, मगर भागेश्वर शायद अब भी असंतुष्ट महसूस कर रहा था | बड़े शहर की चकाचौंध उसे और आगे बढ़ने को कह रही थीं,वह एक बहुत बड़ा आदमी बनना चाहता, ताकि उसके पास भी बड़ा सा बंगला,गाड़ी,नौकर-चाकर और एक अच्छा खासा बैंक बैलेंस हो | बड़ा बनने की चाह में उसका मन, बेचैन हुआ जा रहा था |
आजकल, भागेश्वर इतना बदल गया, की उसके पास अपने परिवार के लिए ज़रा भी वक़्त न रहा | जब कांता, भागेश्वर से कुछ कहना चाहती,वह यह कहकर उसकी बात को टाल देता, की इस बारे में बाद में बात करेगा,अभी उसे किसी ज़रूरी काम से बहार जाना है | कांता,भागेश्वर के इस व्यवहार से काफ़ी परेशान थी-
“आखिर ऐसा भी क्या ज़रूरी काम है उन्हें की घर में कुछ वक़्त हमारे साथ नहीं बिता सकते”
एक दिन अचानक दीपू की तबियत बहुत ख़राब हो गई, उसके पेट भयंकर दर्द होने की वजह से वो कराहने लगा | रात का समय,बाहर ज़ोरों की बारिश, और घर में भागेश्वर मौजूद नहीं था | बच्चे की तकलीफ देख कांता घबरा जाती है, तुरंत अपने दो साल के बच्चे, कुमार को बिलखता छोड़कर डॉक्टर को बुलाने निकल पड़ी | परन्तु,जबतक डॉक्टर आया, बहुत देर हो गई, असहनीय दर्द के कारण,वह छोटा सा बच्चा दीपू, दम तोड़ चूका था | बेटे की मौत के ग़म में,कांता असहाय सी दीपू की लाश को अपनी गोद में लिटाकर बैठी रही |
सुबह होते ही आस-पड़ोस के लोग उसे सान्तवना देने आए | जगन काका ने कांता को सँभालते हुए पूछा-
“बिटिया !, ये सब कैसे हुआ, और ऐसे समय में तेरा पति कहाँ है?”
कांता के पास इन सवालों का कोई जवाब न था, वह हताश सी गुमसुम अपने जिगर के टुकड़े की लाश गोद में लिए फूट-फूटकर रोने लगी | जब लाली चाची,दीपू का दाह-संस्कार करने को बोली,कांता ने बस एक ही बात कही-
“चाची ,थोड़ी देर रुक जाओ न,इसके बापू आते ही होंगे”
इंतज़ार की घड़ियाँ बीतती चली गयीं,पर भागेश्वर अब तक नहीं लौटा, और शायद अब कभी नहीं आएगा |
तीन हफ्ते बीत गए दीपू के क्रिया-कर्म को, लेकिन अभी तक भागेश्वर का कोई पता नहीं | मकान का किराया न दे पाने के कारण,कांता को घर छोड़ना पड़ा | गोद में नन्हे कुमार को लिए, और एक हाथ में अपने स्वामी, भागेश्वर की तस्वीर लिए अनजान सड़क पर वह चल पड़ी, जिसे पता नहीं था, की कहाँ जाना है | तपती धुप की वजह से कुमार को बुखार हो जाता है,कांता घबरा गई, अपने पति और बड़े बेटे को खोने का गम आज भी उसे सता रहा था, अब वह कुमार को खोना नहीं चाहती | किसी भी तरह कांता, कुमार को इलाज के लिए पास के अस्पताल ले कर गई,जहाँ कुमार का डॉ.अशोक ने इलाज किया |
इलाज से कुमार की तबियत ठीक हो गई, आज उसे डिस्चार्ज कर देंगे | कांता के पास डॉक्टर के फीस के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए वह फीस के तौर पर, अपना मंगलसूत्र डॉ.अशोक को देते हुए उनका धन्यवाद करती है | अशोक,कांता की आर्थिक दशा भांपकर उसे मना करते हुए बोले-
“ बहन! ये तुम क्या कर रही हो, मैं इतना नीचे नहीं गिर गया की अगर मरीज़ के पास इलाज के लिए पैसे न हों तो ज़बरदस्ती उनसे पैसे वसूलूँ ,इस नन्हे बच्चे की जान बचाना मेरा फ़र्ज़ था,सो मैंने किया | और हाँ, ये मंगलसूत्र तुम्हारे सुहाग की निशानी है, इसे संभालकर रखो”,
कांता यह सुनकर बर्दाश्त नहीं कर पाती और भाव-विभोर होकर रोने लगी | कारण पूछने पर कांता डॉ.अशोक से अपनी जिंदगी से जुड़ी सारी पीड़ा व्यक्त कर दी | अशोक भावुक हो उठे, और कांता के मना करने पर भी न माने, उसे अपने घर में आसरा दिया |
वहां पहुँचकर कांता को मालूम हुआ की डॉक्टर साहब की पत्नी अपनी दो साल की छोटी-सी बच्ची,कुसुम को तन्हां छोड़कर, एक वर्ष पहले, ब्लड कैंसर जैसी लाइलाज बिमारी की वजह से इस दुनियां में नहीं रहीं | कांता, कुसुम और कुमार की परवरिश एक साथ करने लगी, कुमार से ज्यादा उसने कुसुम पर अपनी ममता लुटाई, ताकि उस बिन माँ की बच्ची को अपनी माँ खोने का ग़म न हो | कुसुम और कुमार की काफी अच्छी दोस्ती हो गई, दोनों साथ-साथ ही रहते | बच्चे कब बड़े हो गए पता ही नहीं चला | डॉ.अशोक, दोनों बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए विलायत भेजा |
साल बीतते देर न लगी, आज कुसुम और कुमार विलायत से अपनी पढ़ाई पूरी कर दस बजे की flight से वापस घर लौट रहे हैं | डॉ.अशोक उन्हें लिवाने एयरपोर्ट गए, इधर कांता बच्चों के आने की ख़ुशी में, सुबह से उनके पसंद की खाने की चीज़े बनाने में लगी रही | बच्चों की ताक में कांता बहार बरामदे में बैठी उनका इंतज़ार कर रही थी, तभी कार की हॉर्न सुनकर वह गेट की तरफ दौरी | कुमार और कुसुम,गाड़ी से निकलकर कांता के पाँव छुए और कांता उन्हें गले लगा लेती है |
डॉ.अशोक की बदौलत, कांता और उसके बच्चे को असरा मिला और साथ ही आज उनके पास वो सब कुछ है, जिसकी कल्पना कभी भागेश्वर ने की थी | कांता हर वक़्त डॉ.अशोक का आभार व्यक्त करती और उनका धन्यवाद करती कि आज कुमार को उन्हीं की वजह से नयी ज़िन्दगी मिली, वर्ना आज भी वो दर-दर की ठोकर खा रहे होते | एक दिन, सभी लॉन में बैठे बाते कर रहे थे, डॉ.अशोक काफी देर से कुमार और कुसुम को चुप-चाप देखते रहे, पता नहीं उनके मन में क्या चल रहा था | उनकी चुप्पी तोड़ते हुए कुसुम कहती है-
“क्या बात है पापा, आप इतने परेशान क्यूँ लग रहे हो”,, पहले तो वे मना कर देतें हैं की ऐसी कोई बात नहीं, फिर बाद में ज्यदा पूछने पर कहते अपनी भावना व्यक्त कर कहते-
“क्या करूं बेटी का बाप जो हूँ ,चिंता तो होगी ही, उसके हाथ कब पीले करूंगा ,उसका कन्यादान कब करूंगा, और साथ ही यह भी डर सता रहा है, की लड़का कैसा मिलेगा, मैं अपनी फूल सी बिटिया को किसी अनजान के साथ कैसे ब्याह दूं | इसके चले जाने से ये घर सूना हो जाएगा,क्या शादी के बाद ये हमारे साथ नहीं रह सकती”
कांता उसे समझती है की बेटियाँ घर में रखने की चीज़ नहीं होतीं, आज नहीं तो कल उसे विदा करना ही है | कुछ सोचकर डॉ.अशोक, कांता से कहते हैं-
“बहनजी !, अगर आप चाहेंगी तो मैं इसे अपने पास रख सकता हूँ | अगर आपको कोई ऐतराज़ न हो, तो क्यूँ न कुमार और कुसुम की शादी करा दी जाये, ताकि शादी के बाद दोनों बच्चे हमारे साथ ही रहें”
यह सुनकर,कांता की आँखें भर आती हैं, उसे यह समझ नहीं आ रहा, की वो क्या कहे, उसे यकीन नहीं हो रहा की भगवान् आज उसे इतनी सारी खुशियाँ एक साथ दे रहे हैं | रिश्ते को मंज़ूरी देते हुए कुसुम को अपने गले लगा लेती है |
आज कुमार और कुसुम हमेशा के लिए एक-दुसरे के हो कर परिणय सूत्र में बंध गए | शादी के बाद दोनों,कांता और डॉ.अशोक के साथ ही रहते है| अशोक अपनी सारी जायदात, कुमार और कुसुम के नाम कर देते हैं | कुमार के पास आज वह सब कुछ था जो इंसान अपनी जिंदगी में पाने की तमन्ना रखता है, लेकिन उसके मन में इस बात की कोई तसल्ली नहीं, क्योंकि यह सब कुछ उसका अपना किया हुआ नहीं बल्कि डॉ.अशोक के एहसान के कारण है |
बेटा,भागेश्वर की तरह ऊँची उड़ान भरना चाहता है, इसलिए वह सोचने लगा की आगे किस तरह अपने बलबूते से और तरक्की करेगा, ताकि उसकी अपनी भी कोई शख्सियत हो | यह सोचकर उसने अपने दम पर एक होटल रिसोर्ट बनाने का काम शुरू करना चाहा | कांता ने उसे बहुत समझाया-
“बेटे!,अपने पिता की तरह ऊँची उड़ान भरने की कोशिश भी मत करना, वर्ना उसका हश्र तुम अच्छी तरह से जानते हो | भगवान् और अशोक भाई साहब की कृपा से आज तुम्हारे पास सब कुछ है, एक अच्छी बीवी का साथ है,और क्या चाहिये, खुश रहो, आगे बढ़ने के चक्कर में कहीं बहुत पीछे न रह जाओ, माँ होने के नाते जो मेरा फ़र्ज़ था, सो मैंने आगाह कर दिया,बांकी तुम्हारी मर्ज़ी”
कुमार ने कांता की बात अनसुनी कर दी, और अपने मेनेजर के हाथों होटल रिसोर्ट का टेंडर पास करवाने दिल्ली भेज दिया | कुछ दिनों के बाद मेनेजर आकर बताता है, उनका टेंडर पास नहीं हुआ | कुमार को अपने पिता की तरह जिंदगी में हारना कतई मंज़ूर न था ,इसलिए उसने यह तय किया की खुद दिल्ली जाकर,General Manager से मिलेगा और अगर वह नहीं माना, तो ज़रूरत पड़ने पर उसे रिश्वत देकर खरीद लेगा |
कुसुम माँ बनने वाली है, और ऐसी हालत में उसे अपनों का साथ ज़रूरी था,पर कुमार की वजह से काफी परेशान रहने लगी | पल ठहरता नहीं, कब बीत जाये खबर नहीं लगती, आज घर में चारों तरफ खुशियों का माहौल छाया है, कुमार बाप जो बन गया | इस नन्हे मेहमान के आने की ख़ुशी, बड़े धूम-धाम से मनाई गई, सब यही सोच रहे थे, शायद अपने बच्चे को देखकर कुमार संभल जाये, सब कुछ भूलाकर कुसुम और बच्चे के साथ अपनी बांकी की जिंदगी सुकून से बिताये |
एक दिन कुमार लॉन में अकेले बैठकर कॉफी पी रहा था, तभी एक कॉफ़ी का प्याला लेकर अशोक उसके पास आकर बैठे | थोड़ी देर दोनों चुप-चाप बैठे रहे,पर अशोक से रहा न गया-
“बेटे,अब मेरी उम्र हो गई है, मेरे जीवन का अंत कब हो जाये पता नहीं, बस एक ही इच्छा है,की तुम और कुसुम हमेशा खुश रहो| बाप बनना एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है, इस बात को तुम्हे समझना होगा | कुसुम ने मुझे तुम्हारे बारे में सब कुछ बताया, क्या ज़रूरत है दिल्ली जाकर गलत सलत काम करके पैसा कमाने का, सब कुछ तो है तुम्हारे पास, थोड़े में भी खुश रहना सीखो, उसी में जिंदगी जीने का असली मज़ा है” , इतना कह अशोक वहां से चले गए, और कुमार हतप्रभ होकर उन्हें देखता रहा |
अशोक की बातों का उसपर कोई प्रभाव नहीं हुआ, इतना सब कुछ होने के बावजूद भी General Manager से मिलने दिल्ली के लिए रवाना हो गया| वहां पहुँचकर उसने देखा, केबिन के बहार सोफे पर एक आदमी पहले से ही बैठा हुआ है, कुमार के पूछने पर उसने अपना नाम बी.एन.पाण्डेय बताया | बातों ही बातों में कुमार को मालूम हुआ, वह एक बहुत बड़ी Industry का मालिक है, और वो भी वहां अपना टेंडर पास कराने आया था, ज़रूरत पड़ी तो एक करोड़ का रिश्वत देकर भी अपना काम करवाएगा | पर शायद इन दोनों को ये नहीं मालूम, G.M., अपनी उसूलों का पक्का, एक बहुत ही इमानदार व्यक्ति था, जिसे रिश्वत देने वालों से सख्त नफरत थी | उसने तुरंत पुलिस बुलाकर कुमार और बी.एन.पाण्डेय को arrest करवाया |
इधर जब अशोक को पता चला की पुलिस ने कुमार को arrest कर लिया है, वह तुरंत कांता और कुसुम को लेकर दिल्ली पहुंचे | अशोक की ऊपर के लोगों से पुरानी जान पहचान होने के कारण, काफी गुज़ारिश करने पर, कुमार के साथ बी.एन.पाण्डेय को भी पुलिस ने warning देकर छोर दिया, दोनों को अपनी इस गलती का अहसास हुआ|
लेकिन ये क्या ! जब कांता ने बी.एन पाण्डेय को काफी गौर से देखा तो ‘स्वामी’ कहकर उसके चरणों में गिर पड़ी | वह व्यक्ति और कोई नहीं, कांता का खोया हुआ पति, भागेश्वर था | सभी बहुत खुश हुए, कांता को अपना पति और कुमार को अपना पिता जो मिल गया |
भागेश्वर अपने पछतावे को दबा न सका और बोला-
“ ठीक ही तो कबीर अपने दोहे में कह गए हैं – ‘तेते पांव पसारिये जेती लम्बी सौढ़’ यानि, अपना पाँव उतना ही फैलायिए जितनी आपकी चादर की लम्बाई हो अर्थात जो भी,जितना भी, आपके पास हो उतने में ही खुश रहना चाहिए”
कुमार को भी अपनी गलती का अहसास था इसलिए उसने कहा,
“ सचमुच,हम अज्ञानी यह नहीं समझ पाए की आसमान की गहराइयों को मापना कितना कठिन है, ऊँची उड़ान भरना हम जैसे साधारण मनुष्य के बस की बात नहीं”                          समाप्त 

A NIGHT

“Uuugh Waking up to an alarm is one thing but waking up to a baby crying is another! If only it was a dream I’m not ready. I’m 17 still a teen I’m not even half way where I want to be that’s why today I’ve chosen to run away from it all maybe a few nights”, Anna said to herself.
A few hours passed Anna’s mom was woken up by baby Britney’s loud cries “Anna’ Anna?! Why is Britney crying so much?! Anna?! ARE YOU THERE?! OPEN THE DOOR!” ..
“Pete, Honey Come quick & bring the spare key to Anna’s room!”
“Oh my poor little baby but how? Why would she leave Britney like this?”
Anna’s stepdad replied “Because she’s careless! Irresponsible All YOUR daughter is good for is Sleeping around with half this town! Drinking & doing drugs, Elizabeth you need to put a stop to this!”
Elizabeth holding one month old Britney in her arms sobbed and slowly fell on her knees giving Britney a kiss on her forehead & said to Britney “I’m sorry little ones I’m sorry to let this happen I’m sorry I didn’t raise your mother right I promise to be there for you I promise to bring her back.”
Pete stood there looking not one emotion to his face “get up! Bring her back?! For what? My son gets home today from the university, he has a week off I don’t want to hear Anna’s name. I don’t want him to know its a shame what Anna has become I know we did the job I gave her my unconditional love & so did you! If my son asks Anna went to your mothers house we won’t go into details”.
Elizabeth got herself up didnt say a word started to look for little Britney’s clothes changed, & feed her & put her right to sleep. Not so far from there home there stood Anna outside her best friends house staring at his window but how could she get him to come out ever since his parents found out she was pregnant they didn’t want her around she walked down the block & and came right back. He had to come out at some point so she decided to wait by a tree where his parents wouldn’t see her.
4 hours passed & nothing. Suddenly she sees the garage door open up someone was leaving it was David’s dad he stopped & there went his mom. she waited a few minutes to make sure they didn’t come back. She ran to the door rang the door bell & knocked at the same time “David! David! Daaaavid! Open up!! ” finally she heard his voice “I’m coming!” “Come in, come in”.
As Anna walked in David threw himself to the couch “they finally let you out? Can you go to a house party? Or you have to be home soon?”.
Anna- “umm actually I just left, I left Britney on my bed & I just left.”
David- “you did what?! What the f**k is wrong with you? I can already see your mom coming out on the news.”
Anna- ” he was coming home! I over heard Pete he was coming home!”
David- “he? Who’s he?
Anna- ” Pete’s son Andy that’s who”
David – ” oh I see you don’t get along with him? Don’t you think your a little to old for this?”
Anna- ” you’ve asked me a hundred times who the father of Britney is well it’s him”.
David- “him? Well why don’t you fix things with him for the sake of Britney I mean he needs to help out did he leave you for another girl? We guys don’t appreciate the good women in our life come on Anna we are young & make mistakes”
Anna- ” how can I fix things with the man that raped me, he is thirty & has been raping me since I can remember he was my first kiss my first everything isn’t that just disgusting ! ”
David- ” What! But why didnt you ever tell me? What do you want to do?
Anna- “nothing , I can’t, I can’t hurt Pete, I can’t hurt my mom or Britney I just want to forget I don’t want to remember.”
David-”but Anna”.
Anna- “lets go to that party!”
David-”Alright it’s your call”
David’s parents left for the weekend so they decided to get ready at his house. David picked up his mattress & offered Anna a pill an ecstasy pill of course he offered to take one with her. David said ” come on at three we pop this baby 1,2,3! ” a few minutes passed and boom! They felt so good no one could wipe that smile out of there face.
Mean while Elizabeth stood by the living room window praying that Anna would get home safely. Pete enjoyed a conversation with his son avoiding to bring up Anna. Then Elizabeth heard loud music ran to the door it was David’s truck at full speed.
“Faster, Go Faster! Anna screamed ” It just feels so good! I feel like there’s fire in my vanes like they injected energy in me, it’s like I could bounce off the walls it’s like I could fly!”
David laughed looked at Anna and said “can you feel it everything is moving so slow its the effect of the pill.”
They didn’t realize the truck had ran out of gas the light went from green to yellow then red & they just sat there in the middle of the road when Anna turned right she saw some lights getting closer & closer she screamed But David laughed then the strongest force that ever touched there human life just went at them.
“Someone’s at the door” Elizabeth said. “How may I help you officer?”.
The officer responded “may I speak with the parents off Anna Jones”.
Elizabeth-”Im her mother is she okay? Did she get arrested?.
Officer-” ma’am I’m afraid a tragedy has struck your home Anna and young man were hit by a vehicle they both passed away I’m sorry my condolences go out to you & your family”.
Anna’s mother couldn’t take the pain her only child was gone. Andy offered a hand with Britney he offered to raise her as his own she accepted.
As Andy drove to a new city he looked at little Britney & said “you will be as beautiful as your mother & I will be there to enjoy that” with an evil look.
Elizabeth once back on her feet went into Anna’s room fixed it and while she moved furniture around she found Anna’s diary she read it and found out of the horrible events Anna had gone through right under her noise she then called the police made a report, tried to locate Andy & Britney but they were never found till this day she gives out flyers with the hope of one day seeing her granddaughter & saving her from that monster.                                    THE END

Monday, 16 February 2015

प्रोफ़ेसर की क्लास

एक प्रोफ़ेसर ने अपने हाथ में पानी से भरा एक गिलास  पकड़ते  हुए क्लास  शुरू की. उन्होंने उसे ऊपर उठा कर सभी स्टूडेंट्स  को दिखाया और पूछा , ”आपके हिसाब से यह गिलास  का वज़न कितना होगा?”
50gm….100gm…125 ग्राम …छात्रों ने उत्तर दिया.
”जब तक मैं इसका वज़न ना कर लूँ  मुझे इसका सही वज़न पता नहीं चल सकता”. प्रोफ़ेसर ने कहा.
”पर मेरा सवाल है: यदि मैं इस ग्लास को थोड़ी देर तक  इसी तरह उठा कर पकडे रहूँ तो क्या होगा?”
‘कुछ नहीं’ …छात्रों ने कहा.
‘अच्छा, अगर मैं इसे मैं इसी तरह एक घंटे तक उठाये रहूँ तो क्या होगा?”, प्रोफ़ेसर ने पूछा.
‘आपका हाथ दर्द होने लगेगा’, एक छात्र ने कहा.
”तुम सही हो, अच्छा अगर मैं इसे इसी तरह पूरे दिन उठाये रहूँ तो का होगा?”
”आपका हाथ सुन्न हो सकता है, आपके muscle में भारी तनाव आ सकता है, लकवा मार सकता है और पक्का आपको अस्पताल जाना पड़ सकता है”….किसी छात्र ने कहा, और बाकी सभी हंस पड़े…
“बहुत अच्छा, पर क्या इस दौरान गिलास  का वज़न बदला?” प्रोफ़ेसर ने पूछा.
उत्तर आया ..”नहीं”
”तब भला हाथ में दर्द और मांशपेशियों में तनाव क्यों आया?”
स्टूडेंट्स  अचरज में पड़ गए.
फिर प्रोफ़ेसर ने पूछा ”अब दर्द से निजात पाने के लिए मैं क्या करूँ?”
”ग्लास को नीचे रख दीजिये!” एक छात्र ने कहा.
”बिलकुल सही!” प्रोफ़ेसर ने कहा.
ज़िन्दगी  की समस्याएं  भी कुछ इसी तरह होती हैं. इन्हें कुछ देर तक अपने दिमाग में रखिये और लगेगा की सब कुछ ठीक है. उनके बारे में ज्यादा देर सोचने से आपको पीड़ा होने लगेगी. और इन्हें और भी देर तक अपने दिमाग में रखेंगे तो ये आपको लकवा  करने लगेंगी. और आप कुछ नहीं कर पायेंगे.
अपने जीवन में आने वाली चुनातियों और समस्याओं के बारे में सोचना ज़रूरी है, पर उससे भी ज्यादा ज़रूरी है दिन के अंत में सोने जाने से पहले उन्हें नीचे रखना. इस तरह से, आप  तनाव नहीं लेंगे , आप हर रोज़ मजबूती और ताजगी के साथ उठेंगे और सामने आने वाली किसी भी चुनौती का सामना कर सकेंगे।