Sunday, 1 February 2015

an incident changed medical world


अकस्मात हुई घटना ने चिकित्सा विज्ञान की दुनिया ही बदल दी
लंदन के सेंट मेरी हॉस्पिटल में कार्यरत अलेक्जेंडर फ्लेमिंग एक लापरवाह लैब टेक्नीशियन के रूप में विख्यात थे। प्रयोगशाला में उनकी चीजें बेतरतीब तरीके से फैली रहती थीं। एक बार वे फोड़ों के मवाद के नमूने वाली पेट्रीडिश रखकर भूल गए। इस बीच वे लंबी छुट्टी पर चले गए।

छुट्टियों से लौटकर जब वे 28 सितंबर 1928 को लैब में गए, तो उन्होंने देखा कि कई पेट्रीडिश पर फफूँद पनप गई है, जो कि खिड़कियों के रास्ते लैब में आने वाली हवा के साथ उड़कर आई थी। वे उन्हें कूड़ेदान में फेंकने लगे। तभी मवाद वाली डिशें भी उनके हाथमें आईं। कुछ सोचकर उन्होंने कुछ डिशें नहीं फेंकीं।

बाद में जब उन्होंने उन डिशों को माइक्रोस्कोप में देखा तो पाया कि डिश में जहाँ-जहाँ फफूँद पनपी थी, वहाँ-वहाँ के बैक्टीरिया मर गए थे। यह देखकर वे हैरान रह गए। पता लगाने पर वह फफूँद पेनिसिलियम नोटाडम निकली।

प्रयोग को दोहरा कर उन्होंने पाया कि उस फफूँद में संक्रामक रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करने की अद्भुत क्षमता थी। इस अकस्मात हुई घटना ने चिकित्सा विज्ञान की दुनिया ही बदल दी, जिसने पेनिसिलिन के रूप में पहला एंटीबायोटिक दिया। इससेकई लाइलाज बीमारियों का इलाज संभव हो सका।

दोस्तो, पुरानी कहावत है कि जहर जहर को मारता है। इसी कारण बैक्टीरिया द्वारा होने वाली टीबी, हैजा, पेचिश, टायफाइड, डिप्थीरिया, न्यूमोनिया आदि जैसी कई महामारियों का इलाज भी बैक्टीरिया के माध्यम से ही संभव हुआ। 

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